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चींटी और टिड्डे की कहानी | मेहनत का फल | हिंदी प्रेरक प्रसंग कहानी ( Story of Ant and Grasshopper )

चींटी और टिड्डे:- एक समय की बात है गर्मी का मौसम था। चीटियां अपने लिए भोजन को एकत्रित कर रही थी। वह रोज खेतों में जाती और वहां से दान चुनकर अपने बिल में रखती। चींटी के बिल के सामने एक टिड्डा भी रहता था। वह रोज गाना गाता और नाचते रहता था। वह चीटियों से कहता था कि प्यारी चीटियां तुम इतनी मेहनत क्यों कर रही हो आओ हम मजे करें। चीटियां उस टिड्डे को नजर अंदाज करके अपना कार्य करती रहती हैं। वह टिड्डा उन चीटियों का मजाक उड़ाता था। इस कारण से वह चीटियां काफी परेशान हो गई थी। कुछ समय बाद सर्दियों का मौसम आया और तेज बर्फबारी होने लगी। बर्फबारी के कारण टिड्डा अपना खाना अच्छे से ढूंढ नहीं पा रहा था। जब वह खाना ढूंढने के लिए बाहर निकला तो उसने देखा कि चीटियां अपना बचाया हुआ खाना खाकर आराम से जिंदगी जी रही हैं। तब उसे अपनी बातों का पछतावा हुआ। इसके बाद चीटियों ने उसे टिड्डे की मदद की और उसे खाने के लिए कुछ अनाज दिया।  सीख :-हमें नियमित रूप से मेहनत करनी चाहिए। दूसरे के बहकावे में आकर कोई भी कम नहीं उठाना चाहिए।जो आपका मजाक उड़ाते हैं। वही आपकी सफलता पर तारीफ भी करते हैं।
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Jivitputrika vrat katha : जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | जीवित्पुत्रिका व्रत क्यों की जाती है

जीवित्पुत्रिका व्रत कथा:- एक समय की बात है एक पीपल का पेड़ था। जिसके नीचे एक चील और एक सियारिन रहती थी। लोगों को जीवित्पुत्रिका व्रत करते हुए देखकर उन दोनों ने भी जीवित्पुत्रिका व्रत करने की ठानी। जिस दिन यह व्रत था उसी दिन उस गांव में एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। जिसे एक वीरान स्थान पर लाया जाता है। इस मृत व्यक्ति को देखकर सियारिन अपना व्रत तोड़ देती है परंतु चील पूरी श्रद्धा से जीवित्पुत्रिका व्रत करती है। दोनों ही इस व्रत के प्रभाव से अगले जन्म में मनुष्य के रूप में पैदा होते हैं। चील अहिरावती जो एक राज्य की रानी थी और सियारिन कपूरावती इस राज्य के राजा के भाई की पत्नी थी। अहिरावती के कुल 7 बेटे थे और कपूरावती के बच्चे जन्म लेते ही मर जाते थे। इस बात से कपुरावती ने अहिरावती के सातों पुत्रों को मार कर और उनके सिरों को सात घड़ों में भरकर अहिरावती के पास भेज दिया। उस दिन अहिरावती ने जीवित्पुत्रिका व्रत रखा था। उसने भगवान जीमूतवाहन को याद कर सातों घडो में जल छिड़का  तब सातों पुत्र जीवित हो गए। वहां कपूरावती अपनी बहन के घर से शोक समाचार आने का इंतजार कर रही थी। बहुत देर हो

गरीब की चप्पल | गरीब की मेहनत की कहानी ( Story of hardwork of poor )

गरीब की चप्पल:- एक समय की बात है एक व्यापारी जिसकी संपत्ति बहुत सारी थी। उसने काफी मेहनत करके यह सब अर्जित किया था। उस बड़े व्यापारी का एक ही बेटा था। वह काफी आलसी और पैसे को बर्बाद करने वाला था। वह पैसे की मोल को नहीं समझता था और धन को पानी की तरह बहाता था। वह व्यापारी चाहता था कि उसका बेटा भी मेहनत करें। इसलिए उसने उसे एक दिन अपने पास बुलाया और कहा तुम मेहनत नहीं करते और पैसे को बर्बाद करते रहते हो। इसलिए अब से तुम्हें एक गरीब के पास भेजा जाएगा जब वह उस गरीब के पास गया तो उसे पहनने के लिए चप्पल तक नहीं मिलती थी। ना खाने के लिए खाना मिलता था। उसे रोज मेहनत कर  रोजी-रोटी कमानी पड़ती थी। एक दिन वह रास्ते पर चल रहा था तो उसके पांव में एक कांटा गड़ जाता है और वह बहुत क्रोधित हो जाता है और उस गरीब व्यक्ति से कहता है कि आप मुझे एक चप्पल दिला क्यों नहीं देते। तभी वह गरीब व्यक्ति कहता है। तुम मेरी चप्पल को देखो इस चप्पल में तुम्हें क्या दिखता है। तब व्यापारी के बेटे ने बोला क्या दिखता है मुझे तो कुछ नहीं दिख रहा है। तब गरीब ने कहा इस चप्पल में मेरी मेहनत है देखो मैं रोज काम करके आ

ईमानदार लकड़हारा और सुनहरे कुल्हाड़ी की कहानी | बच्चों के लिए दिलचस्प कहानी ( Story of honest woodcutter )

ईमानदार लकड़हारे की कहानी:- एक समय की बात है एक गरीब लकड़हारा था। जो सुबह-सुबह जाकर कुछ लकड़ियां काटता था। वह रोज यही काम करता था ।एक दिन जब वह लकड़ी काटने गया। तो उसकी कुल्हाड़ी नदी में जा गिरी और वह बहुत चिंतित हो गया क्योंकि उसके पास एक ही कुल्हाड़ी थी। जब वह रोने लगा तो नदी से एक देवी निकली और कहा मैं इस नदी की देवी हूं। तुम क्यों रो रहे हो। तब लकड़हारे ने सब कुछ बता दिया। इसके बाद उसे नदी की देवी ने लकड़हारे को सबसे पहले एक सोने की कुल्हाड़ी दिखाई और पूछा क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है। तो लकड़हारे ने कहा नहीं। इसके बाद देवी ने चांंदी की कुुल्हाड़ी दिखाई तब भी लकड़़हरे नेे मन कर दिया। अंत में देवी ने लोहे की कुल्हााड़ी दिखाई। तब लकड़हारे ने लोहे की कुल्हाड़ी को अपना बताया। जिससे वह देवी काफी प्रसन्न हुई और उसे तीनों कुलहड़ियां दे दी। यह बात पूरे गांव में फैल गई।एक लालची व्यक्ति सोने की कुल्हाड़ी पानी के लिए इस नदी के पास चला गया और अपनी कुल्हाड़ी को जानकार नदी में फेंक दिया। इसके बाद वह रोने लगा। उसे रोता देख देवी फिर से वहां आई और कहा तुम क्यों रो रहे हो। तब उस लालची

कैसे हुई दुर्गा माता की उत्पत्ति ( Story of Navratri in hindi ) dharmik Hindi Katha

मां दुर्गा और महिषासुर युद्ध:- यह उस समय की बात है जब एक रंभा नामक असुर था। जिसने भगवान अग्नि देव को प्रसन्न करके एक पुत्र को प्राप्त किया। जिसका नाम महिषासुर था। महिषासुर ने ब्रह्मदेव का कठिन तप किया और वरदान प्राप्त किया कि उसका वध सिर्फ एक स्त्री ही कर सके। अपने शक्ति के अभिमान में महिषासुर ने स्वर्ग लोक पर हमला कर दिया और स्वर्ग का अधिपति बन गया। महिषासुर के आतंक से पूरा संसार चिंतित था। इसलिए सारे देवताओं ने मिलकर अपने शक्ति कुंज से एक स्त्री को बनाया और उसे काफी अस्त्रों से सुसज्जित किया। जिसे सब मां दुर्गा के नाम से जानते हैं। इसके बाद महिषासुर और मां दुर्गा के बीच 9 दिन तक भीषण युद्ध चला। अंत में मां दुर्गा ने महिषासुर का वध करके संसार को उसके आतंक से मुक्त किया।  सीख :-बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो अंत में अच्छाई की जीत होती है।

पंचतंत्र की कहानी: रात के बाद दिन भी आता है ( story in Hindi of bright future )

रात के बाद दिन भी आता है:- एक समय की बात है एक पुराना गांव था। जहां पर कोई भी सुख सुविधा नहीं थी परंतु वह गांव एक मंदिर के लिए काफी प्रसिद्ध था। माना जाता था कि वहां स्वयं भगवान का वास है। वहां के लोग धीरे-धीरे  इस गांव को छोड़कर जा रहे थे। यह सब देखकर वहां का मुखिया काफी परेशान था। एक दिन वह मुखिया भगवान के पास जाता है और कहता है हे भगवान यह गांव औषधीय का धनी है फिर भी यहां के लोग इस गांव को छोड़कर जा रहे हैं। कुछ सुख सुविधाओं के लिए अपने गांव को छोड़ना क्या सही है। तब भगवान ने प्रकट होकर उस मुखिया से कहा तुम बात तो सच में सही कर रहे हो। ठीक है जो इस गांव की खासियत है दूसरे गांव तक पहुंचाओ। जैसे-जैसे इस गांव की खासियत दूसरे गांव तक पहुंचेगी। वैसे-वैसे इस गांव की कमियां खुद ब खुद दूर होती जाएंगे। जैसे सूर्य उदय के बाद अंधकार स्वयं ही दूर हो जाता है। उसी प्रकार अच्छी चीज बुरी चीज को दबा देता है। उस गांव के मुखिया ने ऐसा ही किया धीरे-धीरे वह गांव काफी प्रसिद्ध हो गया। जो उस गांव को छोड़कर गए थे वह भी वहां वापस आ गए और दूसरे लोग भी। जब दोबारा मुखिया वहां पर भगवान को धन्यवाद कर

गरीब भक्त की भक्ति हिंदी कहानी ( Garib bhakt ki bhakti Hindi kahani )

गरीब भक्त की भक्ति:- एक समय की बात है एक गांव जिसका नाम श्यामपुर था। वहां पर बहुत कम ही लोग रहते थे। वहां पर एक बहुत बड़ा धनी सेठ रहता था। वह सब को दिखाता था कि वह भगवान का कितना बड़ा भक्त है और उसी गांव में एक बहुत ही गरीब व्यक्ति भी रहता था। वह सिर्फ सुबह-सुबह उठकर भगवान के चरणों में एक फूल अर्पित करता था। कुछ दिन तक सब ऐसा ही चला। एक दिन वह गरीब व्यक्ति मंदिर में फूल चढ़ा रहा था ।तो उसे स्वयं भगवान ने दर्शन दिये और कहा तुम मेरी निश्चल भक्ति करते हो। मांगों तुम क्या मांगना चाहते हो। गरीब व्यक्ति ने कहा प्रभु मुझे कुछ नहीं चाहिए ।आप सिर्फ इतनी कृपा कीजिए कि मुझे दो वक्त की रोटी और इस गांव की खुशीयाली चाहिए। भगवान तथास्तु बोलकर चले जाते हैं। यह सारी बात गांव में फैल जाती है। तो धनी व्यक्ति सोचता है कि भगवान ने उस गरीब को क्यों दर्शन दिया मुझे क्यों नहीं। वह मंदिर में जाकर भगवान को कोसने लगता है। तब रात में अमीर आदमी को एक सपना आता है। जिसमें भगवान कहते हैं कि तुम्हारी भक्ति दिखावा थी और उस गरीब व्यक्ति की भक्ति निश्चल थी। इसलिए मैंने उसे दर्शन दिया तुम्हें नहीं। तब वह अमीर

पंचतंत्र की कहानी: बंदर और मगरमच्छ की दोस्ती ( Panchtantra ki kahani: Bandar aur Magarmacch ki dosti )

बंदर और मगरमच्छ की कहानी:- एक समय की बात है एक पेड़ में एक बंदर रहा करता था। वह पेड़ जामुन का था। उसमें काफी स्वादिष्ट जामुन फरते थे।जो मन को मोह लेता था। वह बंदर रोज उस जामुन को खाता और जीवन यापन करता। वह जामुन का पेड़ नदी के किनारे था। उस नदी में एक मगरमच्छ रहता था। एक दिन बंदर ने उस मगरमच्छ से कहा तुम जामुन खाओगे। मगरमच्छ ने कहा हम जामुन नहीं खाते। तब बंदर ने कहा एक बार इसका स्वाद लेकर देखो। उसके बाद बंदर ने उस मगरमच्छ को जामुन खाने को दिया। जामुन खाने के बाद मगरमच्छ बहुत खुश हुआ और कहा यह जामुन तो काफी स्वादिष्ट हैं और वह दोनों मित्र बन गए। बंदर ने मगरमच्छ की पत्नी के लिए भी जामुन दिया था। जब वह मगरमच्छ अपनी पत्नी के लिए जामुन लेकर गया तो मगरमच्छ की पत्नी ने जामुन खाया और कहा यह जामुन तो बहुत स्वादिष्ट है। मैंने तो इसे एक बार खाया है बंदर तो इसे रोज खाता है तो उसका दिल कितना स्वादिष्ट होगा। मगरमच्छ की पत्नी ने मगरमच्छ से कहा कि तुम्हें मेरे लिए बंदर का दिल लाना होगा। उसके बाद मगरमच्छ बंदर के पास गया और कहा मेरी पत्नी ने तुम्हें आने पर बुलाया है। तब बंदर ने कहा मैं पानी

चतुर खरगोश और शेर की कहानी - Story of rabbit and lion in Hindi

शेर और खरगोश:- एक समय की बात है एक जंगल में एक शेर रहा करता था। वह काफी अत्याचारी था और सभी जानवरों का शिकार किया करता था। एक दिन शेर ने अपनी सभा बुलाई और कहा तुम सब जानते हो कि तुम सब मुझसे जीत नहीं सकते।इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम रोज एक-एक करके मेरे पास आओ। जिसे मैं खा जाऊंगा और अपना पेट भरूंगा अगर तुम लोग मेरी बात नहीं मानोगे तो मैं तुम सबको एक साथ खा जाऊंगा। कुछ देर बाद सभी जानवर मान जाते हैं। इसी तरह रोज एक जानवर अपने मन से उस शेर की गुफा में जाता। जिसे शेर खाकर अपना पेट भरता। एक दिन एक हिरण बहुत घबराए हुए रास्ते पर चल रहा था।उस समय उसे एक खरगोश ने देखा। खरगोश ने उस हिरण से कहा भाई तुम इतने घबराए हुए क्यों हो। हिरण ने कहा आज शेर के पास जाने की बारी मेरी है। तब खरगोश को याद आया कि शेर के पास जाने की बारी खरगोश की भी आने वाली है।उसने अपनी जान को बचाने के लिए एक उपाय सोचा और शेर के पास जाकर बोला महाराज इस जंगल में एक और शेर आ गया है जो आपसे भी काफी शक्तिशाली है। शेर यह सुनकर अचंभित रह गया और उस स्थान पर ले जाने को कहा जहां वह शेर था। वह खरगोश बड़ी चालाकी से शेर को एक कुएं

Unity story : एकता की शक्ति

एकता की शक्ति:- एक समय की बात है मोहन और सोहन जिस गांव में रहते थे। वहां पर काफी हरियाली हुआ करती थी परंतु कुछ समय से वहां पर मौसम का हाल बहुत खराब रहने लगा। जिसके कारण वहां की हरियाली भी कम हो रही थी। इसी दौरान वहां पर काफी जोरदार बारिश हुई। जिसके कारण वहां पर काफी तबाही हुई और लोगों को जान बचाकर भागना पड़ा। वह दोनों दोस्त अपने गांव वालों की मदद करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सबके सहयोग से लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना शुरू किया। यह सिलसिला कुछ दिन तक चला कुछ दिनों बाद बारिश रुक गई। वह दोनों मित्र सोच रहे थे कि इस परिवर्तन का क्या कारण है। तब उन्होंने इसका मुख्य कारण एक फैक्ट्री को पाया जो हानिकारक गैस को हवा में छोड़ देता था। सारे गांव वाले वहां गए और फैक्ट्री मालिक से बात किया। इसके बाद फैक्ट्री मालिक ने उनकी मांगों को सुनकर उस पर कार्य किया और वह गांव पहले की तरह हरा भरा हो गया।  सीख:-हमें हमेशा एकता के साथ कार्य करना चाहिए क्योंकि एकता से बड़ी से बड़ी मुसीबत भी छोटी बन जाती है।

Save water story : जल ही जीवन है

जल ही जीवन है:- एक समय की बात है रामपुर नाम का एक गांव था। जहां पर पानी की समस्या काफी थी। इस गांव के सामने एक नदी भी थी परंतु उसके पानी का प्रयोग गांव के लिए सही ढंग से नहीं हो पता था। इस गांव में मोहन नाम का एक बच्चा रहता था। वह सोचता था कि यहां के लोग अपनी नदी रहने के बावजूद इतना पानी के लिए संघर्ष करते हैं। मैं इस नदी के पानी को इस गांव में लाकर रहूंगा। धीरे-धीरे वह बड़ा हुआ और एक इंजीनियर बन गया। उसने अपने गांव में एक बड़ी सी टंकी का निर्माण किया। जिसमें आधुनिक तकनीक के द्वारा पानी को फिल्टर करके उसे टंकी में भरा जाता था और पूरे गांव में वितरित किया जाता था। इस प्रकार मोहन ने अपने गांव की समस्या को दूर किया।  सीख :-हमें अपनी समस्या का हल ढूंढने में अपना दिमाग लगाना चाहिए क्योंकि हर समस्या का हल हमारे आसपास ही होता है। बस उसे ढूंढने की आवश्यकता है।

Believe power : विश्वास की शक्ति

विश्वास की शक्ति:- एक समय की बात है सोहित नाम का एक व्यक्ति था। वह काफी बड़ा वैद्य था। उसकी चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई थी। एक दिन एक व्यक्ति उसके पास आया और कहा मेरी तबीयत काफी खराब रहती है। मुझे एक ऐसा दवा दीजिए जिससे मैं जल्द से जल्द ठीक हो जाऊं। उस समय सोहित बाहर घूम रहा था। उसके पास कोई कागज कलम नहीं था। तब उसके सामने एक लोहा और एक ईट पड़ा हुआ दिखा। उन्होंने उनसे एक दवा का नाम लिखकर दे दिया। वह व्यक्ति उसे लेकर चला गया। कुछ दिनों बाद वह व्यक्ति फिर आया और कहा वैद्य जी मेरी सारी दिक्कत ठीक हो गई है और उसने वह ईटा के टुकड़े को दिखाकर कहा कि यह दवाई तो काफी कारगर है। यह सब देखकर सोहित काफी अचंभित रह गया।  सीख :-मनुष्य के विश्वास में काफी शक्ति होती है। वह बड़े से बड़े रोग को बिना दवाई के भी ठीक कर सकती है। People also see:- कलम की ताकत अलास सबका शत्रु

Child story : बच्चों की मुस्कान

बच्चों की मुस्कान:- एक समय की बात है सोहित नाम का एक लड़का था। वह काफी गरीब परिवार से आया करता था। उसके पास दैनिक जीवन की भी सुख सुविधाएं मौजूद नहीं थी। उसकी एक छोटी बहन जिसका नाम खुशी था। वह अपनी बहन को हमेशा खुश देखना चाहता था। एक दिन की बात है जब वह दोनों मेले में घूम रहे थे। तो वहां पर बहुत सारे मिठाई की दुकान थी। उसकी बहन खुशी को मिठाई खाने का बहुत शौक था परंतु वह जानती थी कि हमारे पास इतने पैसे नहीं है कि हम कुछ मिठाइयां खरीद सके। यह सब उसका भाई देख रहा था। उसे इस बात से बहुत बुरा लगा और उसने सोचा कि मैं किसी भी प्रकार से अपनी बहन के लिए मिठाई लाऊंगा। एक दिन उसके स्कूल में एक चित्रकला की प्रतियोगिता हुई। जिसमें जीतने वाले को कुछ पैसे मिलते। उसके मेहनत से उसने इस प्रतियोगिता को जीता और अपनी बहन के लिए मिठाई खरीदी। जब उसने अपनी बहन को मिठाई दी तब उसकी बहन की मुस्कान से उसका भाई बहुत खुश हुआ।  सीख :-छोटी-छोटी खुशियां ही हमारे जीवन में हमेशा महत्व रखती हैं। हमें प्रयास करना चाहिए कि इन खुशियों को हम संजो कर रखें। People also see:- घर का सपना मुसीबत सहने की शक्ति

Dream story: घर का सपना

घर का सपना:- एक समय की बात है एक बच्चा जो बहुत ही गरीबी से जी रहा था। वह घर के नाम पर एक छोटे से झोपड़ी में अपना जीवन जीता था। एक दिन उस क्षेत्र में काफी बड़ा तूफान आया और उसका झोपड़ा उड़ गया। अब उसके पास रहने के लिए कोई स्थान नहीं था। वह छोटा सा बच्चा के मन में एक ख्याल आया कि मेरा भी पक्का मकान होना चाहिए। उसने एक छोटी सी स्कूल में दाखिला लिया और वही अपनी पढ़ाई की धीरे-धीरे अपनी मेहनत और लगन के साथ वह बहुत बड़ा व्यापारी बन गया और बहुत बड़ा अपना मकान बनाया और उसने एक संस्था का निर्माण कराया जो गरीब व्यक्तियों के लिए सहायता राशि प्रदान करता था। धीरे-धीरे वह गरीबों के नजर में मसीहा बन गया। सीख :-हमें अपनी योग्यता पर भरोसा रखना चाहिए और उस पर नियमित रूप से कार्य करना चाहि ए । People also see:- भगवान गणेश जन्म कथा मुसीबत सहने की शक्ति

God Ganesh: भगवान गणेश जन्म कथा

भगवान गणेश का जन्म:- एक समय की बात है जब माता पार्वती स्नान करने के लिए जा रही थी। तो उसने नंदी को आज्ञा दी कि किसी भी व्यक्ति को अंदर मत आने देना। नंदी, माता पार्वती की आज्ञा का पालन कर रहा था। तभी वह भगवान शिव आते हैं। भगवान शिव को देखकर नंदी ने उन्हें अंदर जाने से नहीं रोका। इस बात से माता पार्वती काफी दुखी थी। तब उनके मन में एक विचार आया कि मैं एक ऐसे गन का निर्माण करूं। जो सिर्फ मेरी आज्ञा का पालन करें। तब माता पार्वती ने एक बालक का निर्माण किया और कहा पुत्र तुम्हारा नाम गणेश है। मैं तुम्हारी माता हूं। तब भगवान गणेश ने कहा माता मेरे लिए क्या आज्ञा है। उसके बाद माता पार्वती ने गणेश से कहा तुम बाहर पहरा दो किसी को भी अंदर मत आने देना और भगवान गणेश के हाथ में एक छड़ी पकड़ा दिया। भगवान गणेश बाहर में पहरा दे रहे थे तभी वहां पर भगवान शिव आ जाते हैं। भगवान गणेश ने भगवान शिव को अंदर जाने से रोक दिया। तब भगवान शिव अपने गणों को आदेश देते हैं कि इस बालक को मार्ग से हटाओ। गण काफी प्रयास करते हैं परंतु उस बालक को मार्ग से नहीं हटा पाए। इसके बाद वहां भगवान ब्रह्मा आते हैं और उस बालक

Power of man story: मुसीबत सहने की शक्ति

मुसीबत सहने की शक्ति:- एक समय की बात है एक बुजुर्ग व्यक्ति था। उसे पेड़ पौधे लगाने का काफी शौक था। इसी प्रकार उसके बेटे और बहू को भी पेड़ पौधे लगाने का काफी शौक था  परंतु वह दोनों में एक ही अंतर था। बुजुर्ग व्यक्ति जो पेड़ों को लगाता और उसका उतना ही ध्यान रखना जितना उसकी आवश्यकता है परंतु उसका बेटा और बहू अपने बाग बगीचे को बहुत ज्यादा ही ध्यान रखते थे। एक दिन उस बुजुर्ग व्यक्ति ने अपने बेटे से कहा बेटा तुम इन पेड़ पौधों पर उतना ही ध्यान दो और उसकी उतनी ही सेवा करो ताकि वह आने वाली तकलीफों को झेलने में सक्षम हो। एक दिन उस क्षेत्र में काफी बड़ा तूफान आया जिसके कारण उस बुजुर्ग के बेटे और बहू का बगीचा पूरी तरह नष्ट हो गया परंतु जब उसे बुजुर्ग के बेटे ने देखा कि उसके पिता का एक भी लगाया हुआ पेड़ को कोई भी नुकसान नहीं हुआ है। तो वह चौक गया और अपने पिता से कहा यह सब कैसे हुआ। तब उसके पिता ने कहा यह सब मेरा नहीं इस पेड़ का कमाल है। मैं इस पेड़ का उतना ही ध्यान रखता था। जिससे वह खराब ना हो जाए। धीरे-धीरे इस पेड़ में इतनी शक्ति आ गई कि वह बड़े से बड़े तूफान को झेल सकता है।  सीख: -हमे

Educational story: कलम की ताकत

कलम की ताकत:- एक समय की बात है सुरेश एक गरीब परिवार से आता था। उसके पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे परंतु उन्हें अपने पुरखों से काफी जमीन मिली थी पर वह जमीन एक बहुत बड़ा सेठ ने अपने बल से हथिया कर रखी थी। सुरेश के पिता के पास उस बड़े सेठ से लड़ने की ताकत नहीं थी। इसलिए उस जमीन को भूलने के अलावा कोई चारा नहीं था परंतु सुरेश यह चाहता था कि मैं इस जमीन को अपने अधीन करके रहूंगा। उसने काफी मेहनत की और बड़ा होकर एक बहुत बड़ा वकील बन गया। उसने कुछ ही देर में अपनी सारी जमीन को कब्जे से मुक्त कर लिया और उस सेठ से मुआवजा भी लिया।  सीख :-हमें अपने बल का उपयोग अच्छे कार्यों के लिए करना चाहिए क्योंकि बल समय के साथ घटती जाती है परंतु ज्ञान और कौशल समय के साथ और प्रबल होता है। People also see:- मेहनत वही नजरिया नई  अपनी तुलना मत करो

कहानी:सपने भी सच होते हैं

सपने भी सच होते हैं:- एक समय की बात है रोहित नाम का एक बच्चा था। जो काफी गरीब परिवार से आया करता था। उसके पास ढंग के कपड़े, मकान यहां तक की खाने तक के पैसे नहीं थे। वह अपने माता-पिता को रोज संघर्ष करते हुए देखता था। उसी के पास एक सेठ का बहुत बड़ा बंगला था। जिसका बेटा मंगल था। वह काफी स्वभाव में चिड़चिड़ा और पैसे को बर्बाद करने वाला था। वह दोनों मित्र थे। एक दिन रोहित और मंगल एक साथ बगीचे में घूम रहे थे तब रोहित ने कहा मैं भी बड़ा होकर तुम्हारे पिताजी के इतना बड़ा घर बनाऊंगा और अपने माता-पिता को खुशी पूर्वक रखूंगा। यह सब सुनकर मंगल हंसने लगा और कहा सपने देखने से कुछ नहीं होता और वह चला गया। रोहित को बड़े-बड़े बिल्डिंग तथा उसकी डिजाइन बनाने का काफी शौक था। वह अपने शौक के साथ इसी मार्ग में लग गया। धीरे-धीरे वह बहुत बड़ा इंजीनियर बन गया। अब वह अपने घर को खुद ही डिजाइन करता था। धीरे-धीरे वह मंगल के पिता से भी काफी अमीर बन गया। जब मंगल ने रोहित से पूछा कि तुमने यह सब कैसे किया। तो रोहित ने कहा सपने भी सच होते हैं बस मेहनत की आवश्यकता है।  सीख :-हमें अपने सपने पर नियमित रूप से कार

Story : कल करे सो आज कर

कल करे सो आज कर:- एक समय की बात है एक बच्चा जो कोई भी काम को समय पर नहीं कर पता था। वह कोशिश तो करता था परंतु उससे कोई काम भी अच्छे से नहीं हो पाता था। जिसके कारण उसे हमेशा अपने माता-पिता और शिक्षकों से डांट पड़ती थी। एक दिन वह किसी को बिना बताए जंगल की ओर निकल गया और एक पत्थर के सामने जाकर रोने लगा। यह सब चीज भगवान सूर्य देख रहे थे। भगवान सूर्य ने उस बालक से पूछा तुम क्यों रो रहे हो। तब उस बच्चें ने कहा मैं कोई भी कार्य को अच्छे से नहीं कर पाता हूं। तब भगवान सूर्य ने कहा तुम मेरा ही अनुसरण करो। जब मैं उदय होता हूं तभी से अपने कार्य में लग जाओ और मेरी स्थिति के अनुसार अपने सारे कार्यों को पूरा करने का प्रयास करो। इसके बाद बच्चा अपने घर चल गया। भगवान सूर्य के कथन अनुसार उसने वैसा ही किया ।धीरे-धीरे वह अपने सारे कार्य को समय पर और सही ढंग से करने में सफल हुआ।  सीख :-हमें हर कार्य को समय अनुसार करना चाहिए और जैसे भगवान सूर्य समय अनुसार अपना उदय तथा समय अनुसार अस्त होते हैं। उसी प्रकार हमें भी उनका अनुसरण करके हर कार्य को समय अनुसार करना चाहिए। People also see:- आलस सबका शत्रु

कहानी:आलस सबका शत्रु

आलस सबका शत्रु:- एक बार की बात है एक बच्चा जो बहुत ही आलसी था। वह कोई भी काम को कल पर डालकर हमेशा आराम करना चाहता था। इस आलस के कारण ही उसे रोज अपने शिक्षकों से डांट खानी पड़ती थी। फिर भी उसका आलस दूर नहीं हो रहा था। यह सब बात उसके शिक्षकों ने उसके माता-पिता को बताई। उसके माता-पिता जानते थे कि मेरा बच्चा काफी आलसी है और उसका आलस उसके लिए कभी मुसीबत बन सकता है। एक दिन उन्होंने उसे सबक सिखाने की ठानी। उसी दिन से उसे बच्चों के पिता ने दफ्तर जाना बंद कर दिया और उसकी माता ने भी घर पर खाना बनाना बंद कर दिया। जब उसे बच्चों को भूख लगी तो उसने कहा मां आज खाना आपने क्यों नहीं बनाया। मां ने कहा आज मुझे बनाने का मन नहीं किया। इसलिए मैंने आज खाना नहीं बनाया। तुम भी तो अपने काम को कल पर टाल देते हो। इस बात से उसे बच्चों को बहुत बुरा लगा और उसने आलस का त्याग किया।  सीख :-आलस से मनुष्य का शत्रु होता है। वह कोई भी कार्य को पूरा होने में रुकावट डालता है। इसलिए यह जरूरी है कि हम आलस का त्याग करें। People also see  डर से मत डरो मोबाइल दुश्मन या दोस्त 

कहानी: डर से मत डरो

डर से मत डरो:- एक समय की बात है एक बच्चा पानी से काफी डरा करता था। यह घटना तब की थी जब वह बहुत छोटा था। तब वह डूबते डूबते बचा था। जिसके कारण वह पानी से संबंधित बहुत कम ही काम कर पाता था। जब भी वह पानी के पास जाता तो उसका डर बाहर आ जाता। जब वह धीरे-धीरे बड़ा हुआ। तब उसे समझ में आया कि मुझे इस डर पर विजय प्राप्त करनी है। तब उसने एक प्रशिक्षक को अपने शिक्षा के लिए रखा और समय के साथ-साथ वह एक अच्छा तैराक बन गया। वह इतना अच्छा तैराक बन गया था कि उसने विश्व पटल पर तैराकी में पदक भी जीता। सीख :-हमें अपने डर पर विजय प्राप्त करने का प्रयास हमेशा करना चाहिए। जब हम अपने डर पर विजय प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। तो डर भी हमसे डर जाता है। People also see  शिक्षा सबका अधिकार भूख से भोजन की पहचान

Educational story: शिक्षा सबका अधिकार

शिक्षा का अधिकार:- एक समय की बात है। सोहित पढ़ाई के नाम से काफी घबराता था। वह सोचता था कि पढ़ाई फालतू चीज है। यह हमारे लिए कोई महत्व नहीं रखता परंतु यह बात उसके माता-पिता और शिक्षकों को अच्छी नहीं लगती थी। उन्होंने इसे सबक सिखाने की ठानी। एक दिन वह उसे एक जगह पर ले गए। जहां कुछ लोग मजदूरी कर रहे थे। जिनके पास खाने के लिए ठीक से खाना भी नहीं था। जब सोहित ने पूछा कि आप यह काम क्यों करते हैं। आप दूसरा काम क्यों नहीं करते उन्होंने कहा कि मैं छोटे में पढ़ाई नहीं की और मुझे इसके अलावा कोई काम नहीं मिलेगा और कहा अभी तुम बच्चे हो तुम अच्छे से पढ़ाई करना नहीं तो आपको भी इसी तरह अपना जीवन यापन करना पड़ेगा।  सीख :-हमें शिक्षा और अपने ज्ञान को अर्जित करने में अपना ध्यान लगाना चाहिए। People also see  समय का फेर स्वतंत्रता का महत्व

Short story:भूख से भोजन की पहचान

भूख से भोजन की पहचान:- एक समय की बात है रोहित नाम का एक बच्चा था। वह खाने का काफी शौकीन था परंतु वह जितना खाना खा पता उससे ज्यादा ही खाना लेता था और खाने को बर्बाद किया करता था। यह सब उसके मां-बाप देख कर बहुत परेशान हुआ करते थे। वह सोचते थे कि इसे कब भोजन का महत्व पता चलेगा। एक दिन रोहित के माता-पिता ने उसे सबक सिखाने की ठानी और ऐसा दिखाया कि उसके घर से पैसे की चोरी हो गई है। अब वह काफी निर्धन है उनके पास खाने तक के लिए पैसे नहीं है। कुछ दिन तो सब ठीक चला। कुछ दिनों बाद रोहित को पेट भर भी खाना नहीं मिलने लगा। जब वह स्कूल गया। तब उसके शिक्षकों ने उसे कुछ खाने को दिया। उसने उसे बिना बर्बाद किया पूरा खत्म किया। तब वहां उसके माता-पिता आते हैं और कहते हैं कि भोजन बहुत अनमोल चीज है। हमें इसका संरक्षण करना चाहिए। तब से रोहित ने एक प्रण लिया कि वह भोजन को बर्बाद नहीं करेगा ना ही किसी को करने देगा।  सीख: -हम भोजन के बिना जीवित नहीं रह सकते। इसलिए कहा जाता है कि जब मनुष्य को भूख लगती है। तब भोजन की असली कीमत उसे पता चलती है। People also see:- नरसिंह अवतार की कथा बड़ा हुआ तो क्या हुआ

God story: नरसिंह अवतार ने कि भक्त प्रहलाद की रक्षा

नरसिंह अवतार की कहानी:- एक समय की बात है हिरण्यकश्पयू नाम का एक राक्षस हुआ करता था। वह बहुत ही अत्याचारी और धर्म का विनाश करना चाहता था। उसे भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि तुम्हें कोई भी मनुष्य, दैत्य, देवता तथा ना ही दिन में, रात में, ना ही घर के अंदर,ना ही घर के बाहर, ना ही कोई अस्त्र-शास्त्र उसे मार सकता है। इस दैत्य का पुत्र प्रहलाद था। प्रहलाद भगवान विष्णु में अटूट भक्ति रखता था। इसी कारण हिरणकश्यपपु ने अपने पुत्र का वध करने का निर्णय किया परंतु उसके सारे प्रयास असफल हो गए।अंत में हिरण्यकश्पयू ने प्रहलाद से कहा कि इस खंबे में भी तुम्हारे भगवान हैं। तब प्रह्लाद ने कहा हां पिता श्री। उसके बाद हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मारने जा रहा था। तभी जोर से गर्जना होते हुए। नरसिंह भगवान सामने आते हैं। उनका आधा शरीर पशु और आधा मनुष्य का था। उनमें और हिरण्यकश्यप में युद्ध होता है। अंत में भगवान नरसिंह उसे उठाकर चौखट के पास ले जाते हैं और ब्रह्मा के वरदान का सम्मान करते हुए। अपने नाखूनों से उसका वध करते हैं। इस प्रकार वह भक्त प्रहलाद की रक्षा करते हैं।

Bedtime story: बाहरी रूप मत देखो

बाहरी रूप मत देखो:- एक समय की बात है एक लड़की जो बहुत ही कुरूप थी। उसे लगता था कि भगवान ने मेरे साथ ही ऐसा क्यों किया। यह सब बात उस लड़की के शिक्षकों को भी पता थी। वह इस लड़की को एक अच्छी सीख देना चाहते थे। एक दिन वह उसे एक बगीचे में ले गए और कहा जो इसमें से सबसे सुंदर पुष्प तोड़कर यहां पर ले आओ। तब लड़की ने एक सुंदर पुष्प तोड़कर शिक्षक को दे दिया। तब शिक्षक ने कहा तुम इस फूल का सुगंध लो। तब उस लड़की ने उस फूल का सुगंध लिया और कहा इसका सुगंध तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। उसके बाद उस शिक्षक ने कहा तुम इस बगीचे में सबसे खराब फुल जिसकी संरचना अच्छी नहीं है। उस फूल को तोड़ के लाओ। लड़की ने वैसा ही किया। तब शिक्षक ने कहा अब इसका सुगंध लो। तब उस फूल का सुगंध बहुत ही मधुर था। तब शिक्षक ने उस लड़की से कहा कि बाहरी सुंदरता ही जीवन में महत्व नहीं रखती,महत्व रखता है तो आपका व्यवहार। सीख: -हमें अपने व्यवहार को सुधारने का प्रयास करना चाहिए। रूप तो रूप है, आज नहीं तो कल चला जाएगा पर व्यवहार आपके जीवन उपरांत भी आपका नाम धरती पर जीवित रखेगा।

Moral Story:मेहनत वही नजरिया नई

मेहनत वही नजरिया नई:- एक समय की बात है भगवान धरती में सभी मनुष्य जनों को देख रहे थे। तभी उनकी नजर एक बड़े व्यक्ति और एक बहुत ही निर्धन व्यक्ति पर पड़ी। उन्होंने सोचा की चलो मैं एक बार इन दोनों की परीक्षा लेता हूं। भगवान ने चमत्कार दिखाया और दोनों ही निर्धन हो गए। अब दोनों व्यक्ति एक साथ मछली का शिकार करने जाते थे। दोनों व्यक्तियों को एक समान ही मछली मिलती थी। परंतु गरीब व्यक्ति उस सारी मछलियों को खो जाता पर अमीर व्यक्ति उसमें से कुछ मछलियों को बेचकर एक व्यक्ति को रख लेता है। जो मछली पकड़ने में उस व्यक्ति की सहायता करता। अगले दिन वह व्यक्ति जो अमीर था। उसे दुगनी मछलियां प्राप्त हुई। वह इसी तरह और अमीर हो गया और गरीब, गरीब ही रह गया। सीख :-हमें मेहनत लगातार करनी चाहिए पर अगर सफलता प्राप्त नहीं हो रही हो तो उसका नजरिया बदल देना चाहिए।

Lord Krishna: भगवान श्री कृष्ण और फलवाली की कहानी

श्री कृष्ण कथा:- एक समय की बात है एक बुजुर्ग औरत अपने जीवन को जीने के लिए फल का व्यापार किया करती थी। वह एक टोकरी में फल को रखकर घूम घूम कर बेचा करती थी। इसी क्रम में वह एक दिन गोकुल आई। उसी समय भगवान श्री कृष्ण बहुत ही छोटे थे। उन्होंने जैसे ही फल वाले को देखा। वह उनके पास चले गए और फल मांगने लगे। तब फल वाली ने नन्हे गोपाल से कहा कि आप मुझे कुछ चावल दीजिए। जब भगवान श्री कृष्ण अपने छोटे-छोटे हाथों से चावल ला रहे थे तो बहुत सारे चावल रास्ते में ही गिर गए और थोड़ा सा ही चावल उनके हाथों में था। यही चावल लेकर वह उसे वृद्ध महिला के पास गए। वृद्ध महिला ने उनके मुख पर मोहित होकर उन्हें एक फल पकड़ा दिया। जैसे ही भगवान श्री कृष्ण ने उसे चावल को उसे फल वाली की टोकरी में डाला। सारे फल हीरे मोती और सोने में परिवर्तित हो गए। यह सब देखकर सब हैरान रह गए और भगवान श्री कृष्ण की ओर एक बाल लीला का आनंद लिया।

Inspirational Story : बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर

बड़ा हुआ तो क्या हुआ:- एक समय की बात है एक हाथी बहुत ही बलशाली था और इस बात का उसे काफी घमंड था। इसी वजह से वह दूसरे जानवरों को परेशान किया करता था। एक दिन अपनी शक्तियों के गुरुर में उसने एक पेड़ को कस के टक्कर मारी जिसके कारण एक चिड़िया का घोंसला टूट गया। इसके बाद उस चिड़िया ने जानवरों की एक सभा बुलाई और कहा कि हम सब इस हाथी के अत्याचार कब तक सहते रहेंगे। तब दूसरा जानवर ने कहा हम क्या कर सकते हैं हाथी तो काफी विशाल और बलशाली है। तब चिड़िया ने कहा इस बल का क्या काम जो किसी के काम ही ना आए। तब कौवा चिड़िया के दुख को देखकर रह ना सका।उसने कहा अब हाथी को दंड देना ही पड़ेगा। उसने एक उपाय निकाला और कहा मैं हाथी के आंख में चोंच मार कर एक घाव कर दूंगा। जितने भी मेरे मक्खी भाई हैं।उस घाव में बैठकर उस घाव को बड़ा कर देना। इस उपाय को सभी जानवरों ने सफलता पूर्वक किया। जिसके कारण उस हाथी की मृत्यु हो गई और सभी जानवर खुशी-खुशी रहने लगे।  सीख :-हमें अपनी शक्तियों का प्रयोग सही ढंग से और सहायता के लिए करना चाहिए।

The Story of Lord Krishna: भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत

गोवर्धन पर्वत की कहानी:- एक समय की बात है श्री कृष्ण के परामर्श से वृंदावन के लोगों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी थी। इस बार वह इंद्र की पूजा नहीं कर रहे थे। इसी कारण भगवान इंद्र ने क्रोधित होकर वहां घनघोर वर्षा करने का निर्णय लिया और वहां बादल भेज दिए। उनके आदेश से वहां बदल आ गए और वहां  घनघोर  वर्षा करने लगे। वर्षा इतनी तेज थी कि वहां के घर तक बहने लगे थे। वृंदावन के लोग अपनी जान बचाने के लिए श्री कृष्ण के पास गए और कहां आप ही हमारी रक्षा कीजिए। तब श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को धारण कर लिया। धीरे-धीरे वृंदावन के सारे लोग और सारी गायों ने उस पर्वत के नीचे शरण ले ली। इस प्रकार श्री कृष्ण ने सभी वृंदावन वासियों और गौ माता की रक्षा की। यह चमत्कार देखकर सभी वृंदावन वासी और स्वयं देवराज इंद्र की अचंभित थे। इसके बाद देवराज इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगी। भगवान श्री कृष्ण जन्म कथा

कहानी: अपनी तुलना मत करो

अपनी तुलना मत करो:- एक समय की बात है एक चूहा था। वह अपने रूप से प्रसन्न नहीं था। वह हमेशा सोचता था कि यह क्या जीवन की हम हमेशा बिल्लियों से डरते रहते हैं। एक समय उसने भगवान को याद किया और कहा हे भगवान मुझे आप बिल्ली बना दो। तब भगवान ने उसे बिल्ली बना दिया। कुछ दिन तक वह खुश रहा परंतु एक दिन वह रास्ते से जा रहा था। तो एक कुत्ते ने उसे दौड़ा दिया और वह जान बचाकर वहां से भाग। तब उसने भगवान से कहा कि भगवान मुझे कुत्ता बना दे। तब भगवान ने उसे कुत्ता बना दिया। इसके बाद वह बहुत खुश हो गया और इधर-उधर शान से घूमने लगा। उसके बाद वहां एक शेर से मिला जिसने उस पर हमला कर दिया। तब वह भगवान से विनती करता है कि मुझे शेर बना दीजिए। भगवान ने उसकी विनती सुनकर उसे शेर बना दिया। उसके बाद भगवान ने उसे शेर बना दिया। कुछ दिनों बाद शिकारी का एक दल आया और शेर को जाल में बंद कर दिया। तब वह बहुत दुखी हो गया और भगवान से कहा हे भगवान मुझसे गलती हो गई मुझे आप चूहा ही बना दीजिए ताकि मैं इस जाल को काटकर मुक्त हो सकूं। तब भगवान ने कहा मैंने जिसको जैसा भी बनाया है वह वैसा ही अच्छा है। इसलिए हमें किसी के साथ