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मेहनत की कमाई:-

एक समय की बात है एक राज्य में काफी सूखा पड़ गया था। सुखा पड़ने की वजह से लोग उस शहर को छोड़कर जा रहे थे। इस बात से उस राज्य का राजा काफी चिंतित था। उसने अपने मंत्रियों से सलाह मशवरा किया और अंत में निश्चित किया कि हम इसके लिए राज्य के सबसे विद्वान महाराज जी से सलाह लेंगे। कुछ देर बाद महाराज जी दरबार में प्रस्तुत हुए। महाराज जी ने राजा से कहा हमें इस राज्य में एक बहुत बड़ा तालाब बनाना चाहिए और जो मजदूर इस तालाब बनाने में काम करेंगे उसे काम करने किए पैसे भी देने चाहिए जिससे लोगों को तालाब से पानी और पैसे से भोजन मिल जाएगा और लोग शहर को छोड़कर नहीं जाएंगे। राजा ने इस काम को महाराज जी के ऊपर ही सौंप दिया। महाराज जी ने काम शुरू कर दिया और लोगों को दिन के अंत के समय उनकी मजदूरी भी देने लगा। उस गांव में एक चोर रहता था। उसके मन में लालच आ गया। उसने सोचा कि महाराज जी को राजा ने काफी पैसे दिए हैं इसलिए वह लोगों को काम के पैसे देता है। वह महाराज जी के घर पर चोरी करने गया। उसने पूरा घर छान मारा परंतु उसे कुछ नहीं मिला। ढूंढने की आवाज को सुनकर महाराज जी जाग गए और उस चोर से प्यार से कहा तुम चोरी करने आए हो। इसके बाद महाराज जी ने उसे एक थैली दे दी और कहा इसे पलट दो। थैली पलटते ही उसमें से सिक्के गिरने लगे। तब महाराज जी ने कहा तुम्हें जितने सिक्के चाहिए उतने ले जाओ। चोर सिक्के को उठाने लगा वह जैसे ही सिक्के को उठाता हुआ मिट्टी बन जाते। तब महाराज जी ने कहा यह जादुई सिक्के हैं यह उसे ही मिलते हैं जो मेहनत करता है। इसके बाद उस चोर ने चोरी करना छोड़ दिया और तलाब की खुदाई में अगले दिन से ही लग गया। 

सीख:-

हमारे मेहनत से अर्जित किए धन ही हमें समय में काम आते हैं।

सबसे प्यारा कौन:-

एक शहर में एक सेठ रहा करता था। वह सेठ काफी दयालु था। वह किसी न किसी प्रकार से लोगों की हमेशा मदद करता। एक दिन वह सेठ मर जाता है। सभी लोग उसकी अर्थी को ले जाते हैं। तभी वहां एक व्यक्ति आ जाता है और कहता है कि इस सेठ ने मेरे से 2 लाख उधार लिए थे। जब तक मुझे 2 लाख नहीं मिलते मैं आप लोगों को यहां से नहीं जाने दूंगा। सेठ के दोनों बेटों ने पैसे देने से मना कर दिया। जब यह बात उस सेठ की बेटी को पता चली तो वह दौड़ते हुए वहां आई और उस‌ व्यक्ति को अपने सारे गहने और पैसे दे दिए। यह सब देखकर उस व्यक्ति ने कहा बेटी इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। सेठ जी से मेरा कोई भी उधर नहीं था परंतु मैंने उनसे 2 साल पहले 2 लाख लिए थे। मैंने यह नाटक इसलिए किया क्योंकि मैं जानना चाहता था कि इस पैसे का असली हकदार कौन है।

सीख:-

हमें अपने अच्छे कर्मों से मरने के बाद भी दूसरे के अच्छे यादों में जगह बनाई जा सकती है।
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