परिश्रम का मार्ग:-
एक समय की बात है एक गांव में एक किसान रहा करता था। वह बहुत ही मेहनती स्वभाव का था परंतु उसके चार बेटे थे जो काफी आलसी थे। उस किसान ने उन्हें काफी समझाने की कोशिश की परंतु वह कोई भी कार्य नहीं करते थे और अपने पिता पर ही निर्भर रहते थे। धीरे-धीरे वह किसान अब वृद्ध हो चुका था। उसे इस बात की चिंता थी कि अब मेरे बच्चे मेरे बाद क्या कार्य करेंगे। एक दिन उसने अपने चारों बेटों को बुलाया और कहा मैंने अपने धन से जो सोना चांदी खरीदा था। उसे मैंने खेत में कहीं दबा दिया था। मेरी उम्र हो गई है जिसके कारण मैं यह भूल गया हूं कि मैंने यह सोना चांदी कहां दबाया था। यह कहकर वह किसान मर गया। उस किसान के चारों बेटे ने सोचा कि हमें वह धन ढूंढना चाहिए। उसने पूरे खेत पर हल चलाना शुरु कर दिया परंतु वहां पर कुछ भी नहीं मिला। वह चारों लोग काफी निराश हो गए। तब उन में से एक ने कहा अब हल चला ही दिया है तो इसमें बीज भी डाल दो। बीज डालने के बाद कुछ दिनों में उसमें फसल भी आ गई। फसल काटने के बाद उन चारों ने उस फसल को बाजार में बेच दिया। जिससे काफी ज्यादा मुनाफा हुआ। फसल बेचने के बाद जब वह घर आए तो वहां पर उन्हें एक चिट्ठी मिली जिसे उसके पिता ने लिखा थी। उसमें लिखा हुआ था कि उस खेत में कोई सोना चांदी नहीं था। मैंने तुम्हें यह सब इसलिए कहा था कि तुम परिश्रम रूपी धन को प्राप्त कर सको। यह बात सुनकर किसान के चारों बेटों के आंख में आंसू आ गए।
सीख:-
हमें हर कार्य के लिए परिश्रम की आवश्यकता होती है। हम जितना जिस कार्य में परिश्रम करेंगे सफलता उतना ही निखर कर आएगी।