गरीबों की दीपावली:-
एक समय की बात है एक बच्चा जिसे मोमबत्ती और बिजली से जलने वाले लाइटों का बहुत शौक था। वह चाहता था कि हमारे घर में भी दीप की जगह मोमबत्ती और बिजली से चलने वाली लाइट लगाई जाए। उसने अपने मम्मी पापा से इस बात के बारे में बात की परंतु उसके माता-पिता इस बात के लिए नहीं माने। वह बच्चा अपने माता-पिता से जिद्द करने लगा। तब उसके माता-पिता को समझ में आ गया कि हमारे बच्चे को यह बताना आवश्यक है कि हम घर में सिर्फ रोशनी करने के लिए ही दिए नहीं जलाते हैं। यह दिया दूसरे के घर में चूल्हे की आग का काम करते हैं। वह अपने बच्चों को एक दिए बनाने वाले के पास ले गए। वह व्यक्ति सुबह-सुबह उठकर मिट्टी लाने जाता है और उसे अपने हाथों से संरचना देता है और एक अच्छा दिया बनता है। जब वह दिया पैक कर तैयार हो जाता है तो तब उस बाजार में जाकर बेचने जाता है। जिससे उसे जो भी मुनाफा होता है। उससे वह अपने परिवार के साथ दिवाली मनाने के बारे में सोच रहा होता है। यह सब देखने के बाद बच्चों को समझ आ जाता है कि दिवाली में दिया जलाना सिर्फ रोशनी का पर्व नहीं है। इससे लोगों की भी काफी मदद हो जाती है।
सीख:-हमें जहां तक हो सके दूसरों की मदद जरूर करनी चाहिए।