मेहनत की कीमत:-
एक समय की बात है एक गांव था। वह प्राकृतिक संपदाओं का धनी था। वहां पर हर वर्ष अच्छी खासी वर्षा होती होती थी। इसी कारण वश वहां के किसानों को कम मेहनत में भी ज्यादा मुनाफा हो जाता था। इसलिए वहां के किसान धीरे-धीरे आलसी हो रहे थे। एक दिन भगवान इंद्र ने गांव के लोगों की परीक्षा लेने की सोची और उस वर्ष वर्षा नहीं की उसके कारण सभी वनस्पति बर्बाद हो गए थे। यह जानने के लिए की वर्षा क्यों नहीं हो रही है। सभी किसानों ने भगवान इंद्र का ध्यान किया। तब वहां देवलोक के राजा इंद्र प्रकट हुए और कहा जब तक भगवान शिव शंकर अपना डमरू नहीं बजाएंगे। तब तक इस गांव में वर्षा नहीं होगी। यह सब सुनकर गांव वालों ने खेती करना ही छोड़ दिया परंतु वहां का सबसे वृद्ध किसान ने खेती करना प्रारंभ कर दिया। जब लोगों ने पूछा कि आप जुताई क्यों कर रहे हैं। तब उसने कहा कि अगर मैं इस कार्य को करना छोड़ दूंगा। तो कुछ वर्षों बाद मैं खेती करना ही भूल जाऊंगा। इसलिए मैं खेती कर रहा हूं। वह किसान माता पार्वती का काफी बड़ा भक्त था। तब माता पार्वती ने सोचा कि अगर भगवान ने डमरू नहीं बजाया तो इस बेचारे किसान के साथ अन्याय होगा। तब माता ने भगवान शिव शंकर से कहा प्रभु देखिए यह किसान कितनी मेहनत से खेती कर रहा है क्योंकि यह सोचता है कि यह खेती करना भूल जाएगा। अगर आप भी अपने डमरू को नहीं बजाएंगे तो शायद आप भी डमरू बजाना भूल जाए। भोलेनाथ ने तुरंत अपने डमरू को उठाया और बजाने लगे। इसके बाद ही वहां पर जोरदार बारिश हुई। इससे उस गांव की किसानों को बहुत बड़ा सीख मिला।
सीख:-अगर हम प्रयास करते रहे तो मुश्किल से मुश्किल कार्य भी सरल हो जाता है।