हार की शक्ति:-
एक समय की बात है एक व्यापारी अपने व्यापार में असफल हो गया था। वह नदी किनारे बैठकर यह सोच रहा था कि उसकी असफलता का कारण क्या है। इस नदी के पार एक महात्मा का कुटिया था। वह उसी रास्ते से अपने घर की ओर जा रहे थे। उसकी नकारात्मक बातों को सुनकर वह महात्मा सारी बात को समझ गया और उस व्यापारी को अपने पास बुलाया और कहा तुम व्यापार में असफल हो गए तो तुम इतने नाराज क्यों हो। तब उस महात्मा ने उस व्यापारी को कहा कि मैंने एक जगह पर घास और बास दोनों का पेड़ लगाया था परंतु एक साल बाद घास तो बड़ा हो गया परंतु बास बड़ा नहीं हुआ पर मैंने हार नहीं मानी। मैं अगले साल भी इस बीज पर उतना ही मेहनत किया परंतु फिर से उसमें से कोई पौधा नहीं निकला। मैं लगातार यह कार्य 3 साल तक किया उसके बाद एक छोटा सा बास का पौधा बाहर आया। आज वह छोटा सा पौधा बहुत बड़ा बास का पेड़ बन चुका है। उसकी जड़ इतनी मजबूत हो गई है की बड़ी सी बड़ी आंधी भी उसे हिला नहीं सकती। मैंने एक पौधे पर इतना परिश्रम किया है तो तुम्हें अपने व्यापार पर कितना परिश्रम करने की आवश्यकता है यह सोच लो।
सीख:-हमें असफलता के बाद भी प्रयास नहीं छोड़ना चाहिए।
स्कूल की घंटी:-
एक समय की बात है एक गांव में एक स्कूल था। वहां पर गांव के सभी बच्चे पढ़ाई करने जाते थे। वहां पर एक चौकीदार था। जो काफी गुस्से वाला था। यही कारण था कि उसे बच्चे काफी परेशान रहा करते थे। वह चौकीदार बहुत गुस्सैल था। यही कारण था कि बच्चे उसे परेशान करते रहते थे। उस चौकीदार का काम था कि बच्चों को बाहर जाने से रोकना और स्कूल शुरू और खत्म होने पर घंटी को बजाना। कभी-कभी बच्चे मस्ती में घंटी को बजाते थे और उसे परेशान करते थे। एक दिन वह काफी गुस्सा हो गया और बीमारी का बहाना करके स्कूल नहीं आया और सोचा कि मेरे बिना यह स्कूल नहीं चलेगा। वह छुप-छुप कर स्कूल को देखने लगा। उस दिन भी सभी क्लासेस ठीक समय पर चली। तब वह चौकीदार समझ गया कि दुनिया में कोई किसी के लिए नहीं रुकता है। ना कभी कोई रुका है ,ना ही कभी रुकेगा।
सीख:-हमें अपने कार्य को सही ढंग से करना चाहिए। यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि हमारे बिना कोई कार्य रुक जाएगा।