गरीब भक्त की भक्ति:-
एक समय की बात है एक गांव जिसका नाम श्यामपुर था। वहां पर बहुत कम ही लोग रहते थे। वहां पर एक बहुत बड़ा धनी सेठ रहता था। वह सब को दिखाता था कि वह भगवान का कितना बड़ा भक्त है और उसी गांव में एक बहुत ही गरीब व्यक्ति भी रहता था। वह सिर्फ सुबह-सुबह उठकर भगवान के चरणों में एक फूल अर्पित करता था। कुछ दिन तक सब ऐसा ही चला। एक दिन वह गरीब व्यक्ति मंदिर में फूल चढ़ा रहा था ।तो उसे स्वयं भगवान ने दर्शन दिये और कहा तुम मेरी निश्चल भक्ति करते हो। मांगों तुम क्या मांगना चाहते हो। गरीब व्यक्ति ने कहा प्रभु मुझे कुछ नहीं चाहिए ।आप सिर्फ इतनी कृपा कीजिए कि मुझे दो वक्त की रोटी और इस गांव की खुशीयाली चाहिए। भगवान तथास्तु बोलकर चले जाते हैं। यह सारी बात गांव में फैल जाती है। तो धनी व्यक्ति सोचता है कि भगवान ने उस गरीब को क्यों दर्शन दिया मुझे क्यों नहीं। वह मंदिर में जाकर भगवान को कोसने लगता है। तब रात में अमीर आदमी को एक सपना आता है। जिसमें भगवान कहते हैं कि तुम्हारी भक्ति दिखावा थी और उस गरीब व्यक्ति की भक्ति निश्चल थी। इसलिए मैंने उसे दर्शन दिया तुम्हें नहीं। तब वह अमीर व्यक्ति भगवान से क्षमा मांगता है।
सीख:-हमें भगवान की भक्ति का दिखावा नहीं बल्कि निश्चल भक्ति में ध्यान देना चाहिए। तभी भगवान प्रसन्न होते हैं।