सपने भी सच होते हैं:-
एक समय की बात है रोहित नाम का एक बच्चा था। जो काफी गरीब परिवार से आया करता था। उसके पास ढंग के कपड़े, मकान यहां तक की खाने तक के पैसे नहीं थे। वह अपने माता-पिता को रोज संघर्ष करते हुए देखता था। उसी के पास एक सेठ का बहुत बड़ा बंगला था। जिसका बेटा मंगल था। वह काफी स्वभाव में चिड़चिड़ा और पैसे को बर्बाद करने वाला था। वह दोनों मित्र थे। एक दिन रोहित और मंगल एक साथ बगीचे में घूम रहे थे तब रोहित ने कहा मैं भी बड़ा होकर तुम्हारे पिताजी के इतना बड़ा घर बनाऊंगा और अपने माता-पिता को खुशी पूर्वक रखूंगा। यह सब सुनकर मंगल हंसने लगा और कहा सपने देखने से कुछ नहीं होता और वह चला गया। रोहित को बड़े-बड़े बिल्डिंग तथा उसकी डिजाइन बनाने का काफी शौक था। वह अपने शौक के साथ इसी मार्ग में लग गया। धीरे-धीरे वह बहुत बड़ा इंजीनियर बन गया। अब वह अपने घर को खुद ही डिजाइन करता था। धीरे-धीरे वह मंगल के पिता से भी काफी अमीर बन गया। जब मंगल ने रोहित से पूछा कि तुमने यह सब कैसे किया। तो रोहित ने कहा सपने भी सच होते हैं बस मेहनत की आवश्यकता है।
सीख:-हमें अपने सपने पर नियमित रूप से कार्य करना चाहिए ताकि वह सपना हकीकत में बदल सके।