तेनाली की चतुराई। तेनालीराम की कहानी। हिंदी कहानी। moral story

बुद्धि की शक्ति:-
एक समय की बात है कृष्ण देव राय के दरबार में एक महाबली पहलवान आया। उसने कहा मैंने सुना है कि तेनालीराम बहुत बुद्धिमान है तो पूछिए उनसे क्या वह मुझे हरा सकता हैं। पहलवान ने कहा क्या वह अपनी बुद्धि से बल को हरा सकता हैं। तेनालीराम ने कहा जी हां। पहलवान ने कहा तो ठीक है कल आपको एक लकड़ी जो धरती के काफी अंदर गड़ी होगी उसे आपको बाहर निकाल के दिखाना होगा। इसमें आप सिर्फ अपने बल का प्रयोग कर सकते हैं। किसी हथियार का नहीं। तेनालीराम ने कुछ देर सोचा और हां कर दिया। कुछ देर बाद तेनालीराम उस क्षेत्र का निरीक्षण करने पहुंचे जहां पर यह प्रतियोगिता होने वाली थी। तेनालीराम ने कहा जिस लकड़ी को मुझे हिलाना है मैं उसकी सर्वप्रथम पूजा करना चाहता हूं। पहलवान ने हां कर दी। उसके बाद अगले दिन दोनों की प्रतियोगिता होती है पहलवान उस लकड़ी के टुकड़े को हिलाने में अपनी सारा बल लगा देता है। बहुत देर बाद उसका वह टुकड़ा निकलता है पर तेनालीराम उस लकड़ी के टुकड़े को तुरंत निकाल लेते है। यह देखकर सब चौंक जाते हैं। तब कृष्ण देव राय पूछते हैं कि आपने यह कैसे किया तब तेनालीराम कहते हैं कि मैंने उस लकड़ी की पूजा की थी और उस लकड़ी के चारों तरफ गुड़ डाल दिए थे। जिसके कारण उस जमीन के मिट्टी को चीटियों ने नरम बना दिया जिसके कारण यह हो पाया। 

सीख:-आपके पास कितना भी बल हो पर कुछ चीज बिना बुद्धि के हल नहीं हो सकती।
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