ईमानदार लकड़हारे की कहानी:-
एक समय की बात है एक गरीब लकड़हारा था। जो सुबह-सुबह जाकर कुछ लकड़ियां काटता था। वह रोज यही काम करता था ।एक दिन जब वह लकड़ी काटने गया। तो उसकी कुल्हाड़ी नदी में जा गिरी और वह बहुत चिंतित हो गया क्योंकि उसके पास एक ही कुल्हाड़ी थी। जब वह रोने लगा तो नदी से एक देवी निकली और कहा मैं इस नदी की देवी हूं। तुम क्यों रो रहे हो। तब लकड़हारे ने सब कुछ बता दिया। इसके बाद उसे नदी की देवी ने लकड़हारे को सबसे पहले एक सोने की कुल्हाड़ी दिखाई और पूछा क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है। तो लकड़हारे ने कहा नहीं। इसके बाद देवी ने चांंदी की कुुल्हाड़ी दिखाई तब भी लकड़़हरे नेे मन कर दिया। अंत में देवी ने लोहे की कुल्हााड़ी दिखाई। तब लकड़हारे ने लोहे की कुल्हाड़ी को अपना बताया। जिससे वह देवी काफी प्रसन्न हुई और उसे तीनों कुलहड़ियां दे दी। यह बात पूरे गांव में फैल गई।एक लालची व्यक्ति सोने की कुल्हाड़ी पानी के लिए इस नदी के पास चला गया और अपनी कुल्हाड़ी को जानकार नदी में फेंक दिया। इसके बाद वह रोने लगा। उसे रोता देख देवी फिर से वहां आई और कहा तुम क्यों रो रहे हो। तब उस लालची व्यक्ति ने सब कुछ बताया कि मेरी कुल्हाड़ी गिर गई है। तब उस देवी ने सोने,चांदी और लोहे की कुल्हाड़ी उस व्यक्ति को दिखाई और कहा इसमें कौन सी तुम्हारी कुल्हाड़ी है। उस लालची व्यक्ति ने सोने की तरफ इशारा किया। तब देवी समझ गई कि यह व्यक्ति लालची है। इसके बाद देवी ने उसे कोई भी कुल्हाड़ी नहीं दी और कहा तुम एक लालची व्यक्ति हो तुम्हें इसका दंड कुल्हाड़ी खोके ही भोगना होगा।
सीख:-हमें हमेशा ईमानदार रहना चाहिए। ईमानदारी से हमारा जीवन सरल और अच्छा होता है। लालच से सिर्फ हानि ही होती है।