एक समय की बात है सुरेश नाम का एक बहुत बड़ा सेट हुआ करता था। शुरुआत में वह स्वभाव का बहुत ही अच्छा था परंतु दिन प्रतिदिन उसका घमंड और उसके पैसे पर मोह बढ़ते जा रहा था। जिसके कारण वह किसी का सम्मान नहीं करता और नौकरों से बुरा व्यवहार करता। उसी के गांव में एक छोटा बच्चा जो यह सब देख देख कर बड़ा हो रहा था। यह सब देखकर उसे काफी दुख होता और सोचता की मैं भी इसी की तरह बड़ा व्यक्ति बनेगा पर कभी घमंड नहीं करूंगा। जब यह सुरेश को पता चलती है तो वह जोर-जोर से हंसने लगता है और कहता है कि यह निर्धन क्या मेरी बराबरी कर पाएगा। उसे बच्चों ने काफी मेहनत की और एक व्यापार खड़ा किया। सुरेश का व्यवहार दिन प्रतिदिन खराब होते जा रहा था। इस कारण उसका व्यापार भी दिन प्रतिदिन घटता गया और उसे बच्चे का व्यापार तीन प्रतिदिन बढ़ते गया। एक दिन ऐसा समय आ गया कि सुरेश को अपना घर बार सब कुछ बेचना पड़ा और अपनी उधारी चुकानी पड़ी। तब सुरेश काम की तलाश में इस बच्चे के पास गया जिसे उसने जानकारी दिया था। तब उसे बच्चों ने उन्हें सम्मान पूर्वक अपने यहां ऊंचे अवदे पर काम पर रख लिया।
सीख:-हम कितने भी अमीर हो जाए हमें कभी भी हमें किसी पर हंसना नहीं चाहिए और जहां तक हो सके सहायता करनी चाहिए।